द गर्ल इन रूम 105–१९
यह जरूरी मामला है, गोलू। इसमें मुझे तुम्हारी क्लीयर थिंकिंग की जरूरत है। एक तो मुझे अभी बहुत चढ़ी हुई है और दूसरे में इस मामले में ज़रूरत से ज्यादा इनवॉल्ड रहा हूँ।' "रुको, सौरभ ने कहा 'पहले मुंह धोकर थोड़ा होश में आ जाते हैं।'
हम जैसे-तैसे बाथरूम तक पहुंचे और अपने मुंह पर ठंडे पानी के छींटे मारे। "आर यू देवर?" ज़ारा ने एक और मैसेज किया। मैंने उसके मैसेजिस पढ़ लिए थे और उसने डबल ब्लू टिक्स
देख लिए थे। 'गोलू, क्या रिप्लाई करू?"
"जो मन में आए लिख दो। नॉर्मल बातें ही करना।'
वाह, क्या कमाल की हिदायत दी उसने। "हां, मैंने रिप्लाई किया।
उसने कुछ सेकंड तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। फिर मैंने 'टाइपिंग...' मैसेज देखा, जो बार-बार आ जा रहा
था, यानी वह अपने मैसेज में बार-बार सुधार करती जा रही थी।
मेरे तन-बदन में जैसे आग लग गई। सौरभ ने भी वह मैसेज देखा। मैं उससे थोड़ा दूर खिसक आया। मुझे उसकी सलाह की जरूरत जरूर थी, लेकिन इसका ये मतलब नहीं था कि वह मेरे प्राइवेट मैसेज पढ़ सकता है।
'आई मिस यु' उसने कहा।
'बाऊ, "मैंने जबाब दिया, 'रियली?" "हां, तुम्हारे बिना लाइफ अधूरी सी है।'
मुझे उलटी करने की आवाज़ सुनाई दी। सौरभ ने कॉफी टेबल पर उल्टी कर दी थी। वाह रोमँटिक अँट के लिए क्या बेहतरीन माहौल था। 'सॉरी' सौरभ ने कहा, 'मैं इसको साफ कर देता हूँ।' ऐसा कहकर वह किचन में चला गया। मैंने फिर फोन
उठाया।
'यू सीरियस, जारा? तुम्हें पता है, मेरे लिए इसके क्या मायने हैं?" 'हां, जानती हूँ। मैंने तुम्हारे साथ सख्त बर्ताव करने की कोशिश की और तुम्हें अपने से अलग कर देना चाहा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मैं तुम्हें मिस करती हूँ ।"
'और रघु के बारे में क्या?" सौरभ टेबल साफ कर रहा था। 'सब ठीक है ना?" उसने पूछा।
मैंने उसे थम्स अप किया।
"रघु अच्छा इंसान है। बहुत अच्छा लेकिन वो वह आदमी नहीं है, जिसकी मुझे तलाश थी. जारा यह पढ़कर मेरा गला भर आया। इसका मतलब है कि मेरे लिए अब भी बांस वाट बैंक यू. भगवान । 'आई मिस यू टू सो मच, ' मैंने कहा।
"हां हां, दिख रहा था, तभी तो मेरा बर्थडे भूल गए थे, ' उसने एक अपसेट इमोजी के साथ कहा।
"भूला नहीं था, बेबी मैंने खुद को तुम्हें विश करने से कितना रोका। अपसेट मत होओ।'
'मजाक कर रही हूं, उसने अपने फेवरेट लॉफ्टर एड टियर्स इमोजी के साथ जवाब दिया। "क्या मैं तुम्हें कॉल करके विश कर सकता हूं?"
'कॉल क्यों? क्या तुम मुझसे मिलकर मुझे विश नहीं करोगे? मैंने अपना फ़ोन एक तरफ रख दिया और आसमान की ओर हाथ जोड़कर भगवान को शुक्रिया कहा। यह
भगवान का ही चमत्कार था कि आज वह खुद मुझसे मिलना चाह रही थी। *ऑफ़ कोर्स, मिलना चाहूंगा। कब? सुबह?"
"अभी"
मैंने समय देखा। 'व्हॉट? रात के तीन बजे रहे हैं। तुम कहां पर हो?"
'अपने रूम में हिमाद्रि' 'कल जाऊंगी। वहां एक पार्टी है, जिसमें ज्यादातर फैमिली के ही लोग रहेंगे।' "रघु कहां है?